Friends are born, not made: .Henry
B. Adams
लक्ष्मी को उस समय मेरे बड़े भाई ज्यादा
इम्प्रेस्सिव लगे और वह उन्ही के साथ ज्यादा बाते करता. मेरी उम्र के साथ मेरा कद
भी औसतन कम था. कुल 4 फीट 10 इंच. साथ में हाफ
पैंट. सोने पै सुहागा ये कि सबसे आप-आप
संबोधित कर बातें करना.
एक
साल देखते-देखते बीत गए. कॉलेज का नया कैम्पस बन गया था. अगला सत्र वहीँ आरम्भ
हुआ. इस बार लक्ष्मी से भेंट 15-20 दिनों बाद हुई. हमलोग ऑडिटोरियम हॉल के
बरामदे पर खड़े थे. मैंने फुलपैंट पहनना शुरू कर दिया था. लक्ष्मी भी फुलपैंट-शर्ट पहने था. हमलोग बात ही कर रहे थे
कि इसी बीच दूर से एक लड़का आता दिखा. सिल्क का कुरता जिसकी बांहें रस्सी की तरह
मोड़कर ऊपर तक चढ़ाई हुई थीं. सफ़ेद पायजामा जो काले जूते से 2 इंच ऊपर था. जूते और पायजामे के बीच के 2 इंच के गैप में लाल मोजा शोभा बढ़ा रहा था. सर पर खूब सारा तेल
थोपे हुए.
लक्ष्मी
ने उस लड़के को देखते ही कहा कि ये ज़रूर पलामुआ होगा. जैसे ही वह लड़का पास आया ,
लक्ष्मी ने उससे पूछा,” क्या बबुआ, कहाँ के रहने वाले हो ?” उस लड़के ने झुंझलाहट
से भर कर जवाब दिया,” हाँ ! हम पलमुआ है ! क्या कर लोगे ?” हमलोगों का हँसते हुए
बुरा हाल हो गया.
लौटते
वक्त मैं लक्ष्मी के बारे में सोच रहा था. जिसमे खुदपर हँसने की हैसियत हो वह
दूसरों को कितना हंसाता होगा.
धीमे-धीमे
लक्ष्मी से मेरी नजदीकी बढती गयी इतनी की मेरे बड़े भाई को कहना पड़ा कि लक्ष्मी
दोनों में से किसी एक को अपना दोस्त चुन ले. उसके बाद और अबतक हमारी दोस्ती
किन-किन पड़ाव से गुजरी उसको समेटने के लिए पन्ने कम पड़ जायेंगे. लक्ष्मी से तो
भूलकर नहीं पूछना . उसका जवाब होगा ...तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी हैरान
हूँ मै !
50 साल हो गए. गोकि
दोस्ती स्वार्थ से परे होती है पर क्या मैं उसपर खरा उतरता हूँ . मुझे जब भी मूड
अच्छा करना होता है लक्ष्मी से मिल लेता हूँ या उससे फोन पर और अब तो स्काइप पर विडियो
चैट कर लेता हूँ.
सोचता
एक है कांटैक्ट दूसरा करता है.
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